स्ट्रोक के बाद दृष्टि समस्याएं – Vision Problems after stroke- how to resolve ?

स्ट्रोक के बाद दृष्टि समस्याएं

स्ट्रोक के बाद दृष्टि संबंधी समस्याएं काफी आम हैं। यदि एक स्ट्रोक देखने से संभंधित कुछ अंगों या नाड़ियों को या मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है जो दृश्य से जुड़े हैं , तो यह स्ट्रोक के मरीज़ की  दृष्टि को प्रभावित कर सकता है।

स्ट्रोक के बाद नज़र की क्या तकलीफें हो सकती हैं ?

दृश्य क्षेत्र का नुकसान: दृश्य क्षेत्र वह संपूर्ण क्षेत्र है जिसे एक व्यक्ति देख सकता है जब आंखें एक स्थिति में स्थिर हो जाती हैं। ये तकलीफें दो प्रकार की होती हैं :
क) होममोनीस हेमियानोपिया : प्रत्येक आंख में दृश्य क्षेत्र के आधे हिस्से का नुकसान है। 
ख) क्वाड्रेंटानोपिया : दृश्य क्षेत्र की ऊपरी या निचली तिमाही का नुकसान है।

आंखों के हिलने  गति पर नियंत्रण: यदि आंखों को हिलाने वाली नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो व्यक्ति आंखों को एक निश्चित स्थिति में नहीं ले जा सकता है। एक नस जो आंख की मांसपेशियों को नियंत्रित करती है, वह काम करना बंद कर सकती है, जिससे आंखें मुड़ जाती हैं (स्ट्रैबिस्मस) – जिसे आमतौर पर ‘क्रॉस आई’ या दोहरी दृष्टि (डिप्लोपिया) के रूप में जाना जाता है। आंख की नसों के साथ अन्य समस्याओं के कारण एक पलक झुक सकती है (टोसिस), या आंख की पुतली बड़ी हो सकती है।

आँख  का अस्थिर हो जाना : आंखों की निरंतर, अस्थिर गति, जिसे निस्टागमस के रूप में भी जाना जाता है ।  इसमें आँख ऊपर नीचे या साइड में या गोल घूमती रहती है

सूखी आंखें: पलक की नसों, चेहरे की नस या पलक की मांसपेशियों में समस्या के कारण सूखी आंखें हो सकती हैं।

दृश्य उपेक्षा: दृश्य उपेक्षा वाले लोग अपने स्ट्रोक-प्रभावित साइड की  चीज़ों को देख नहीं पाते हैं इसलिए उनकी उपेक्षा करते हैं ।

विजुअल एग्नोसिया: विजुअल एग्नोसिया वाले लोगों को परिचित चेहरों और वस्तुओं को पहचानने में कठिनाई होती है।

दृष्टि की समस्याओं को कैसे दूर करें ?

ऑप्टिकल थेरेपी: यह इलाज़ रोगी को चीज़ों की छवि इस तरह पेश करता है की वह उसकी नज़र में आ सकें अगर तकलीफ आँख के  दृष्टि क्षेत्र के है।  । यह दोहरी दृष्टि, गहराई को देख पाना , और स्ट्रोक से  हुई अन्य दृश्य हानि को ठीक करने में भी सहायक हो सकता है।

आई मूवमेंट थेरेपी:  यह इलाज़ आंखों के मूवमेंट पर केंद्रित है। इस अब आँख का जो नया देखने का क्षेत्र  है , उसीमें छवि को लाने की कोशिश करी जाती है।   ।  यह थेरेपी आंखों की  हिलने डुलने पर नियंत्रण और आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद करती है।   

दृश्य बहाली चिकित्सा (वीआरटी): यह चिकित्सा रोगी के दृश्य क्षेत्र में धब्बों को कम  करने या हटाने में मदद करती है।

एक नेत्र-विशेषज्ञ आमतौर पर ऊपर बताए अनुसार दृष्टि समस्याओं  को समझता है और उचित उपचार देता है । उसे रोगी के स्ट्रोक इतिहास के बारे में बताया जाना चाहिए।

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हिंदी अनुवाद के लिए ग्रुप सदस्य विभा और अक्षय का बहुत बहुत धन्यवाद्।

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