यह वीडियो स्ट्रोक के बारे में आपको संक्षिप्त जानकारी देता है :
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नीचे का विवरण https://dementiahindi.com/stroke-and-dementia/ से अनुमतिनुसार एवं साभार लिया गया है।
विवरण (c) स्वप्ना किशोर
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स्ट्रोक (आघात, पक्षाघात, सदमा, stroke, paralysis, लकवा) एक गंभीर रोग है। हम कई बार देखते और सुनते हैं कि किसी को स्ट्रोक हुआ है। इस के बाद कुछ लोग फिर से अच्छे हो पाते हैं, पर अन्य लोगों में पूरी तरह शारीरिक और मानसिक क्षमताएं ठीक नहीं हो पातीं । शायद हम यह भी जानते हैं कि करीब 25% केस में स्ट्रोक जानलेवा सिद्ध होता है। [1]
पर स्ट्रोक क्या है, किन बातों से इस के होने का खतरा है, इस से कैसे बचें–इन सब पर जानकारी इतनी व्याप्त नहीं है । अधिकाँश लोग यह भी नहीं जानते कि स्ट्रोक होने के कुछ ही महीनों में कुछ व्यक्तियों को स्ट्रोक-सम्बंधित डिमेंशिया (मनोभ्रंश, dementia) भी हो सकता है । [2]
इस पोस्ट में:
- स्ट्रोक क्या है, क्यों होता है, और इस के लक्षण क्या हैं
- स्ट्रोक में तुरंत इलाज बहुत जरूरी है
- स्ट्रोक और डिमेंशिया (मनोभ्रंश)
- स्ट्रोक से बचने के उपाय
- स्ट्रोक कितना व्याप्त और गंभीर है, उस पर कुछ तथ्य/ आंकड़े
- हम क्या कर सकते हैं
- अधिक जानकारी के लिए लिंक
स्ट्रोक क्या है, क्यों होता है, और इस के लक्षण क्या हैं
मस्तिष्क के ठीक काम करने के लिए यह जरूरी है कि मस्तिष्क में खून की सप्लाई ठीक रहे । इस काम के लिए हमारे मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं (खून की नलिकाएं, blood vessels) का एक जाल (नेटवर्क) है, जिसे वैस्कुलर सिस्टम कहते है । ये रक्त वाहिकाएं मस्तिष्क के हर भाग में आक्सीजन और जरूरी पदार्थ पहुंचाती हैं ।
स्ट्रोक में इस रक्त प्रवाह में रुकावट होती है । इस के दो मुख्य कारण हैं:
अरक्तक आघात, इस्कीमिया (ischemia): रक्त का थक्का (clot) रक्त वाहिका को बंद कर सकता है (अधिकाँश स्ट्रोक के केस इस प्रकार के होते हैं)[1]
रक्तस्रावी आघात (हेमरेज, haemorrhage) : रक्त वाहिका फट सकती है
खून सप्लाई में कमी के कुछ कारण
इस रुकावट के कारण हुई हानि इस पर निर्भर है कि मस्तिष्क के किस भाग में और कितनी देर तक रक्त ठीक से नहीं पहुँच पाया । यदि कुछ मिनट तक रक्त नहीं पहुँचता, तो प्रभावित भाग में मस्तिष्क के सेल मर सकते हैं (इस को इनफार्क्ट या रोधगलितांश कहते हैं) ।
स्ट्रोक के लक्षण अकसर अचानक ही, या कुछ ही घंटों के अन्दर-अन्दर पेश होते हैं
- एक तरफ के चेहरे और हाथ-पैर का सुन्न होना/ उनमें कमजोरी
- चेहरे के भाव पर, और अंगों पर नियंत्रण नहीं रहना
- बोली अस्पष्ट होना, बोल न पाना, दूसरों को समझ न पाना
- एक या दोनों आँखों से देखने में दिक्कत चक्कर आना
- शरीर का संतुलन बिगड़ना, चल-फिर न पाना
- बिना किसी स्पष्ट कारण के तीव्र सर-दर्द होना
अफ़सोस, कई बार व्यक्ति और आस पास के लोग स्ट्रोक को पहचान नहीं पाते, या पहचानने में और डॉक्टर के पास जाने में देर कर देते हैं, जिस से हानि अधिक होती है ।
एक खास स्थिति है “मिनी-स्ट्रोक” (mini stroke, अल्प आघात)
इस में लक्षण कुछ ही देर रहते हैं, क्योंकि रक्त सप्लाई में रुकावट खुद दूर हो जाती है । इस मिनी-स्ट्रोक का असर तीस मिनट से लेकर चौबीस घंटे तक रहते हैं, और इसे ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक्स (transient ischemic attack, TIA) या अस्थायी स्थानिक अरक्तता भी कहते हैं । व्यक्ति को कुछ देर कुछ अजीब-अजीब लगता है, पर वे यह नहीं जान पाते कि यह कोई गंभीर समस्या है । कुछ व्यक्तियों में ऐसे मिनी स्ट्रोक बार बार होते हैं, पर पहचाने नहीं जाते । कुछ केस में ऐसे मिनी स्ट्रोक के थोड़ी ही देर बाद व्यक्ति को बड़ा और गंभीर स्ट्रोक हो सकता है ।
कुछ लोग स्ट्रोक और दिल के दौरे में कन्फ्यूज होते हैं
स्ट्रोक और दिल का दौरा, दोनों ही रक्त के प्रवाह से संबंधी रोग हैं (हृदवाहिनी रोग, cardiovascular disease), पर स्ट्रोक में इस नाड़ी संबंधी समस्या का असर दिमाग पर होता है, हृदय पर नहीं. यूं कहिये, स्ट्रोक को हम एक मस्तिष्क का दौरा मान सकते हैं ।
स्ट्रोक में तुरंत इलाज बहुत जरूरी है
इलाज में जितनी देर करें, व्यक्ति की स्थिति उतनी ही बिगड़ती जायेगी । जान भी जा सकती है । इसलिए स्ट्रोक का शक होते ही जल्द से जल्द व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं–डॉक्टर शायद व्यक्ति की जान बचा पायें । सही समय पर इलाज करने से शायद डॉक्टर स्ट्रोक के बाद होने वाली दिक्कतें को भी कम कर पायें । दुबारा स्ट्रोक न हो, इस के लिए सलाह भी मिलेगी ।
स्ट्रोक के बाद उचित कदम उठाने से कुछ व्यक्ति तो फिर ठीक हो पाते हैं, पर अन्य व्यक्तियों में कुछ समस्याएँ बनी रहती हैं और रिकवरी पूरी नहीं होती । स्ट्रोक-पीड़ित कई व्यक्ति बाद में भी कुछ हद तक दूसरों पर निर्भर रहते हैं । उन्हें डिप्रेशन (अवसाद) भी हो सकता है, जिस के कारण वे भविष्य के स्ट्रोक से बचने के लिए कदम उठाने में भी दिक्कत महसूस करते हैं ।
एक अन्य आम समस्या है मस्तिष्क की क्षमताओं पर असर । यदि व्यक्ति को बार बार स्ट्रोक (या मिनी-स्ट्रोक) हो, तो क्षमताओं में हानि ज्यादा हो सकती है । व्यक्ति की मानसिक काबिलियत कम हो जाती है । व्यक्ति को डिमेंशिया हो सकता है ।
स्ट्रोक और डिमेंशिया (मनोभ्रंश)
संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia) एक प्रमुख प्रकार का डिमेंशिया है । यह आक्सीजन की कमी की वजह से मस्तिष्क के सेल मरने से हो सकता है । इस का एक कारण है बार बार स्ट्रोक या मिनी-स्ट्रोक होना । इस प्रकार के संवहनी डिमेंशिया को स्ट्रोक से सम्बंधित डिमेंशिया के नाम से भी जाना जाता है ।
अल्ज़ाइमर सोसाइटी UK की “What is vascular dementia?” [2] पत्रिका के अनुसार स्ट्रोक होने के बाद तकरीबन 20% व्यक्तियों में छह महीने में स्ट्रोक से सम्बंधित डिमेंशिया हो सकता है । और एक बार स्ट्रोक हो, तो फिर से स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है, इस लिए डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ जाता है । संवहनी डिमेंशिया पर विस्तृत हिंदी लेख के लिए देखें: [3]
स्ट्रोक से बचने के उपाय
स्ट्रोक होने के बाद व्यक्ति को दुबारा स्ट्रोक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है । कुछ स्टडीज़ के अनुसार, इलाज न करें तो अगले पांच साल में फिर स्ट्रोक होने की संभावना 25% है, और दस साल में स्ट्रोक होने की संभावना 40% है । इसलिए स्ट्रोक के बाद आगे स्ट्रोक न हो, इस के लिए खास ध्यान रखना होता है ।[4]
स्ट्रोक की संभावना कम करने के लिए उपयुक्त दवा लें और उचित जीवन-शैली के बदलाव अपनाएं । उच्च रक्त-चाप (हाइपरटेंशन, हाई बी पी) और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें । डायबिटीज से बचें, या उस पर नियंत्रण रखें । जीवन-शैली बदलाव करें, जैसे कि: सही और पौष्टिक खाना, वजन नियंत्रित रखना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना (व्यायाम इत्यादि), तम्बाकू सेवन और धूम्रपान बंद करना, तनाव कम करना, और मद्यपान कम करना । डॉक्टर से बात करें, ताकि आपको सही सलाह मिले ।
स्ट्रोक कितना व्याप्त और गंभीर है, उस पर कुछ तथ्य/ आंकड़े
- स्ट्रोक एक बहुत आम समस्या है. यह माना जाता है कि हर चार व्यक्तियों में से एक को अपने जीवन-काल में स्ट्रोक होगा ।[5]
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्ट्रोक साठ साल और ऊपर की उम्र के लोगों की मृत्यु के कारणों में दूसरे स्थान पर है ।
- कम उम्र में भी स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा है&—15-59 उम्र वर्ग में मृत्यु के कारणों में स्ट्रोक पांचवे स्थान पर है ।[6]
- अफ़सोस, भारत में स्ट्रोक का खतरा अन्य कई देशों से ज्यादा है क्योंकि यहाँ के लोगों में हाईपरटेंशन और अन्य रिस्क फैक्टर की संभावना ज्यादा है. ऊपर से यह भी अनुमान है कि भारत में स्ट्रोक का खतरा समय के साथ बढ़ रहा है । [7]
- विश्व भर में स्ट्रोक डिसेबिलिटी का एक मुख्य कारण है. कम और मध्यम आय वाले देशों में डिसेबिलिटी के कारणों में स्ट्रोक दूसरे स्थान पर है । [8]
हम क्या कर सकते हैं
सबसे पहले तो हमें पहचानना होगा कि स्ट्रोक एक आम समस्या हैं, और इसके नतीजे भी बहुत गंभीर हैं । 60% लोग स्ट्रोक से या तो बच नहीं पाते, या बचते भी हैं तो उन की शारीरिक या मानसिक क्षमताएं ठीक नहीं हो पातीं । वे दूसरों पर निर्भर हो सकते हैं, और उन्हें डिमेंशिया भी हो सकता है ।
हम सब स्ट्रोक और अन्य नाड़ी संबंधी बीमारियों से बचने के लिए अपने जीवन में कई कदम उठा सकते हैं । अपने और अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य का ख़याल रखें तो स्ट्रोक और सम्बंधित समस्याओं की संभावना कम होगी । यह मंत्र याद रखें: हृदय स्वास्थ्य के लिए जो कदम उपयोगी है, वे रक्त वाहिका की समस्याओं से बचने के लिए भी उपयोगी हैं ।
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अधिक जानकारी के लिए लिंक
- [1]स्ट्रोक से मृत्यु की संभावना, और स्ट्रोक के किस्म Introduction to Stroke (NHS, UK)
- [2]स्ट्रोक के बाद डिमेंशिया की संभावना: What is vascular dementia? (Alzheimer’s Society, UK)
- [3]संवहनी डिमेंशिया पर हिंदी में विस्तृत लेख: संवहनी डिमेंशिया (वैस्कुलर डिमेंशिया, Vascular dementia): एक परिचय
- [4]दुबारा स्ट्रोक होने की संभावना Recovering after a stroke (NHS, UK)
- [5]स्ट्रोक कितना फैला हुआ है Stroke prevention
- [6]स्ट्रोक के कारण मृत्यु: Deaths from Stroke (World Atlas of Cardiovascular diseases, WHO)
- [7]भारत में स्ट्रोक: Introduction to Stroke (NHS, UK) और Fifty years of stroke researches in India (paper)
- [8]स्ट्रोक और डिसेबिलिटी Table 5, Global Burden of Disease, The Lancet
स्ट्रोक और सम्बंधित विषयों के लिए कुछ उपयोगी शब्दावली
- मिनी-स्ट्रोक और उस में पाए डिमेंशिया से संबंधित कुछ शब्द: मिनी-स्ट्रोक: ट्रांसिऐंट इस्कीमिक अटैक्स (transient ischemic attack, TIA) या अस्थायी स्थानिक अरक्तता
- मस्तिष्क में हुई हानि: इनफार्क्ट (रोधगलितांश, infarct)
- बार-बार के मिनी-स्ट्रोक से संबंधित डिमेंशिया: मल्टी- इनफार्क्ट डिमेंशिया (multi-infarct dementia), बहु-रोधगलितांश डिमेंशिया
- संवहनी डिमेंशिया के लिए कुछ शब्द/ वर्तनी: वास्कुलर डिमेंशिया, वैस्क्युलर डिमेंशिया, नाड़ी-संबंधी डिमेंशिया, संवहनी मनोभ्रंश, Vascular dementia
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यह विवरण https://dementiahindi.com/stroke-and-dementia/ से अनुमतिनुसार एवं साभार लिया गया है।
विवरण (c) स्वप्ना किशोर
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* Be fast – Stroke Symptoms in English with Videos of Actual Strokes
* स्ट्रोक (आघात) – हिंदी में कुछ जानकारी
* स्ट्रोक-के-साधारण-लक्षण
* In Bengali – Be Fast – দ্রুত !
* In Gujarati – જ્યારે સ્ટ્રોક આવે ત્યારે BE FAST
* In Marathi – BE FAST स्ट्रोक होतो तेव्हा !
* In Odiya – ଷ୍ଟ୍ରୋକ: ମୃତ୍ୟୁ ଅଥବା ଶାରୀରିକ/ମାନସିକ ଅସମର୍ଥ